नया प्रेम सीख रहा है

Irish Mirror

“तुम मेरे शिव के वैरागी जीवन की वह उमा हो जिसे वह तब तक नहीं पा सकता जब तक दोनों का तप पूर्ण ना हो जाए| तब तक जलते रहना होगा विरह के ताप में जब तक दोनों के जीवन का ध्येय ना सिद्ध हो जाए| सुना है तप और त्याग से रंजित प्रेम कहानियाँ सदियों तक अमर रहती हैं| कभी-कभी तो इतनी वेदना झेलने के बाद भी दो लोग मिल भी नहीं पाते| प्रेम अभी मेरे लिए किसी लक्ज़री से कम नहीं| मैं पैदल चलता हूँ| मैं अभी प्रेम का कम्फर्ट अफ्फोर्ड नहीं कर सकता|” वह कहता जा रह था और मैं सोच रही थी कि मैं भी तो वही सोच रही थी जो वह कह रहा है| मेरी सोच का पंछी वहाँ जा कर बैठ गया जहाँ समय बदल रहा था| जहाँ प्रेम में पड़े लोग बस यूँ ही मुँह उठा कर भाग जाया करते थे, घर से दूर और समाज में जीवित रहने की लड़ाई अक्सर उनके प्रेम को कुचल डाला करती थी| नया प्रेम उन पुराने जोड़ों से सीख रहा है प्रेम करने का नया तरीका| नया प्रेम अपनी भावनाओं को तब तक पब्लिक नहीं करता जब तक मुँह खोल पाने के योग्य ओहदा और हैसियत ना आ जाए| मुझे लगता है की ‘ना’ का डर अब ज्यादा है क्योंकि पहले की तुलना में लोग अब हार जाना कम पसंद करते हैं| इसीलिए निहत्थे लड़ जाने के बजाये यल्गार के पूर्व हथियार जुटा लेते हैं और एक ढाल भी| इससे ‘ना’ की गुंजाइश ना के बराबर रह जाती है| अब शिव से उमा के मिलन की प्रोबबिलिटी 99.9 प्रतिशत तक बढ़ जाती है| पर सनद रहे की शिव तो एक है पर उमा के कई रूप हैं – सति, पार्वती, काली| शिव के पास ऑपशंस की कमी नहीं| वैसे उमा भी विष्णु के आये प्रस्ताव को हाँ बोल ही देती है| आज के शिव और उमा तैंतीस कोटि देवी-देवताओं को आजमा कर एक दूजे तक पहुँचते है| कुछ तो पहुँच भी नहीं पाते| बड़ा कन्फ्यूज़न है; लगता है “यही तो है वो” पर असल में वो कोई और होता है| पर नीयति तो यही है कि शिव और उमा का ही मिलन हो| ऐसा होता भी होगा| ये सब तो विधाता के खेल हैं, वही जाने| वैसे प्रोबबिलिटी तो यह भी है कि उमा ने उन्हें भी डेट किया होगा| मेरा ध्येय ना तो देवी-देवताओं का चरित्रहनन करना है और ना ही किसी से बैर मोल लेना पर क्या किया जाए, लोग खुद को देवी-देवताओं से कम भी तो नहीं समझते| यह तो आम लोगों के आम जीवन की आम जीवनचर्या का विवरण है| वैसे शिव और उमा का मिलन तो हो कर रहेगा| ज्यादा हुआ तो नाम तो आज कल यूँ ही बदल जाया करते हैं| देखने की बात तो यह है कि क्या हमारे आज के शिव और उमा में इतना धैर्य है कि एक दुसरे से मिलने तक सैंयम रख पाएँगे? या विधाता अपनी प्रतिशोध-पूर्ती के लिए इस प्रेमी-युगल के समक्ष अड़चने पैदा करेंगे?