Poems

ताकि कोई सोच सके

पहले ऐसे ही विचारी होंगी संभावनाएँ निहारे होंगे नभों के शून्य आँखें सिकोड़कर झांकी होंगी अनंत गहराइयाँ अंदर और बाहर बार-बार भटक कर खोजी होंगी दिशाएँ...

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