Udeesha Tiwari

ताकि कोई सोच सके

पहले ऐसे ही विचारी होंगी संभावनाएँ निहारे होंगे नभों के शून्य आँखें सिकोड़कर झांकी होंगी अनंत गहराइयाँ अंदर और बाहर बार-बार भटक कर खोजी होंगी दिशाएँ...

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सुष्मा स्वराज के लिए…

10वें विश्व हिन्दी सम्मेलन,भोपाल में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के छात्रों ने कार्यक्रम की प्रबंधन समितियों में सहायकों की भूमिका निभाई थी| मुझे भी...

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पहाड़ों, किताबों और दिल में ज़्यादा अंतर कहाँ है?

पहाड़ों में आवाज़ें महफ़ूज़ रहती हैं और आवाज़ों के साथ शब्द भी जैसे कविताएँ-कहानियाँ किताबों में महफ़ूज़ रहती हैं| पहाड़ों, किताबों और दिल में ज़्यादा अंतर...

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विद्या कसम!

लिखने को कुछ है तो नहीं पर लेखक बनने की इच्छा है तो लिखते रहना चाहिए, यही अपेक्षित भी है मुझसे और ज़रूरी भी| क्या करें...

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