
Source: The Hindu
10वें विश्व हिन्दी सम्मेलन,भोपाल में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के छात्रों ने कार्यक्रम की प्रबंधन समितियों में सहायकों की भूमिका निभाई थी| मुझे भी वी.वी.आई.पी. डेस्क पर डाटा एंटरी तथा प्रतिभागी पहचान पत्र बाँटने का कार्य दिया गया था|
मैं अपने कम्प्यूटर पर अब तक आए अतिथियों की गणना कर रही थी तभी किसी महिला ने बड़े प्रेम से मुझसे कहा “मैडम, मेरा पार्टिसिपेंट आई.डी. दे दीजिए”| मैंने सर उठा कर देखा तो चौंक कर खड़ी हो गई|साड़ी और कोटी पहनी, नाज़ुक सी, साधारण शक्ल-सूरत की, चमकती आँखों से देखती, अपने से दुगने कद के हाथ जोड़े लोगों से घिरी, सुष्मा स्वराज, चहरे पर एक मुस्कान लिए खड़ी थीं|”मैडम, मैं सुष्मा स्वराज, लिस्ट में मेरा नाम होगा”| उनकी इस विनम्रता पर उमड़े आश्चर्य को नियंत्रित कर, मैंने कहा “मैम! मैं जानती हूँ, ये लीजिए अपना कार्ड!”
वो कार्ड लेकर मुस्कुराईं और “थैंक यू” बोल कर चली गईं| लोग उनके साथ फोटो खिंचाते रहे और मैं उस घटना पर विचार करती रही|उस समारोह में मेरे साथ और भी बहुत सी घटनाएँ हुईं (कभी और बताऊँगी)|
मैंने उनके कई भाषण सुने हैं और हर बार उनकी धाराप्रवाह हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत तथा उनके बहुआयामी ज्ञान पर रीझती रही हूँ|भारतीय राजनीति में ऐसी महिलाएँ कम ही हुई हैं जिनके तेज और बुद्धिमत्ता के आगे सभी झुके हैं|
भारत उन्हें सदैव याद रखेगा| नमन|